एक समुन्दर है की मेरे मुक़ब्बिल हे
एक कतरा हे की मुझसे संभाला नही जाता
एक उमर है की बितानी हे तेरे बगैर
एक लम्हा है की गुजरा नही जाता.
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एक समुन्दर है की मेरे मुक़ब्बिल हे
एक कतरा हे की मुझसे संभाला नही जाता
एक उमर है की बितानी हे तेरे बगैर
एक लम्हा है की गुजरा नही जाता.
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